कुछ रूक सा गया हूँ वक्त के साथ..
और वो कम्बख्त हंस रहा है मुझे देख के..
कुछ डर सा लग रहा है
के कहीं वो गुजर न जाये
मेरे चल पडने से पेहेले...
कुछ डर सा लग रहा है
के कहीं गुजर न जाऊँ
मैं उस से पेहेले...
और वो कम्बख्त..
अभीभी..हंस रहा है मुझे देख के...
और वो कम्बख्त हंस रहा है मुझे देख के..
कुछ डर सा लग रहा है
के कहीं वो गुजर न जाये
मेरे चल पडने से पेहेले...
कुछ डर सा लग रहा है
के कहीं गुजर न जाऊँ
मैं उस से पेहेले...
और वो कम्बख्त..
अभीभी..हंस रहा है मुझे देख के...